जागिये -- आप देवता हैं !
अद्वैतवाद कहता है — अन्ततः सब एक है। गहराई में जाकर सब एक हो जाता है — आत्मा, प्रकृति, परमात्मा, ब्रह्म। जो विशुद्ध चेतना है, वह ही माया है। जो प्राण है, वह ही आकाश है। जो ऊर्जा है, वह ही पदार्थ है।
कितने आश्चर्य की बात है! आज विज्ञान भी यही कह रहा है — जो आकाश (matter) है, वह ही प्राण (energy) है। जो ऊर्जा है वही पदार्थ है। इतना ही नहीं, विज्ञान ने इन दोनों के सम्बन्ध को जोडने वाला समीकरण भी हमें दिया है। आइन्स्टीन ने अपने इसी समीकरण (E=mc2)के लिये ही तो इतनी ख्याति पाई है।
अद्वैतवाद की परिधारणा (concept) मानव-बुद्धि की पराकाष्ठा पर पहुँचती है और फिर उस के बाहर (परे) निकल जाती है। क्योंकि परमात्मा बुद्धि से नहीं जाना जा सकता, इसलिये बुद्धि से परे जाना आवश्यक हो जाता है। यह काम कठिन है, दुरूह है और साधारण जनता की समझ के बाहर है। इसीलिये भारत में जन्मी अद्वैतवाद की परिधारणा इतने वर्षों के बाद भी आम जनता तक नहीं पहुँच पाई।
लेकिन आप आम जनता नहीं हैं। आप साधारण लोग नहीं हैं। आप पढ़े-लिखे हैं, समझदार हैं, विज्ञान की आधुनिक परिकल्पनाओं (theories) से भी परिचित हैं। आप अद्वैतवाद की परिधारणा पर विचार कर सकते हैं। इसीलिये अद्वैतवाद के अद्वितीय सिद्धान्त को आपके समक्ष प्रस्तुत करने में हमें संकोच नहीं है। हमें विश्वास है कि हमारे उपनिषदों के ऋषियों की तपस्या-फल से आप लाभान्वित हो सकते हैं।
कितने आश्चर्य की बात है! आज विज्ञान भी यही कह रहा है — जो आकाश (matter) है, वह ही प्राण (energy) है। जो ऊर्जा है वही पदार्थ है। इतना ही नहीं, विज्ञान ने इन दोनों के सम्बन्ध को जोडने वाला समीकरण भी हमें दिया है। आइन्स्टीन ने अपने इसी समीकरण (E=mc2)के लिये ही तो इतनी ख्याति पाई है।
अद्वैतवाद की परिधारणा (concept) मानव-बुद्धि की पराकाष्ठा पर पहुँचती है और फिर उस के बाहर (परे) निकल जाती है। क्योंकि परमात्मा बुद्धि से नहीं जाना जा सकता, इसलिये बुद्धि से परे जाना आवश्यक हो जाता है। यह काम कठिन है, दुरूह है और साधारण जनता की समझ के बाहर है। इसीलिये भारत में जन्मी अद्वैतवाद की परिधारणा इतने वर्षों के बाद भी आम जनता तक नहीं पहुँच पाई।
लेकिन आप आम जनता नहीं हैं। आप साधारण लोग नहीं हैं। आप पढ़े-लिखे हैं, समझदार हैं, विज्ञान की आधुनिक परिकल्पनाओं (theories) से भी परिचित हैं। आप अद्वैतवाद की परिधारणा पर विचार कर सकते हैं। इसीलिये अद्वैतवाद के अद्वितीय सिद्धान्त को आपके समक्ष प्रस्तुत करने में हमें संकोच नहीं है। हमें विश्वास है कि हमारे उपनिषदों के ऋषियों की तपस्या-फल से आप लाभान्वित हो सकते हैं।
for more info: www.the-comforter.org
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A special presentation of the Mantra Diksha program will be telecast on the following TV channel as per the schedule below:
Month | Dates | Day | Time | TV Channels |
July 2013 | 4,11,18,25 | Thursday | 6.30 AM to 7.00 AM |
Call :0291-2753699
Email : avsk@the-comforter.org
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