जापानी का झेन और चीन का च्यान यह दोनों ही शब्द ध्यान के अप्रभंश है। अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन कहते है लेकिन अवेयरनेस शब्द इसके ज्यादा नजदीक है।
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ध्यान का महत्व : जिस तरह ईसाई धर्म में प्रार्थना और इस्लाम में नमाज का महत्व है हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में ध्यान और संध्या वंदन का महत्व ही अधिक है। संध्या वंदन अर्थात दिन और रात की संधि के समय परमेश्वर की वंदना करना। योग में ध्यान का महत्व है। पूजा-पाठ, उपवास-व्रत, भजन-किर्तन का अपना महत्व हो सकता है किंतु योग में ध्यान ही प्रथम और अंतिम उपाय है।
ध्यान की परिभाषा : तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम।। 3-2 ।।-योगसूत्र अर्थात- जहाँ चित्त को लगाया जाए उसी में वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। धारणा का अर्थ चित्त को एक जगह लाना या ठहराना है लेकिन ध्यान का अर्थ है जहाँ भी चित्त ठहरा हुआ है उसमें वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। उसमें जाग्रत रहना ध्यान है।
ध्यान का अर्थ : ध्यान का अर्थ एकाग्रता नहीं होता। एकाग्रता टॉर्च की स्पॉट लाइट की तरह होती है जो किसी एक चिज को ही फोकस करती है लेकिन ध्यान उस बल्ब की तरह है जो चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है। आमतौर पर आम लोगों का ध्यान बहुत कम वॉट का हो सकता है लेकिन योगियों का ध्यान सूरज के प्रकाश की तरह होता है जिसकी जद में ब्रह्मांड की हर चिज पकड़ में आ जाती है। ध्यान का मूलत: अर्थ है जागरूकता। अवेयरनेस। होश। साक्षी भाव।
ध्यान का अर्थ ध्यान देना, हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी है। शरीर पर, मन पर और आस-पास जो भी घटित हो रहा है उस पर। विचारों के क्रिया-कलापों पर और भावों पर। इस ध्यान देने के जारा से प्रयास से ही हम अमृत की ओर एक-एक कदम बढ़ सकते है।
जागरूकता का महत्व : वर्तमान में जीने से ही जागरूकता जन्मती है। भविष्य की कल्पनाओं और अतीत के सुख-दुख में जीना ध्यान विरूद्ध है। द्रष्टा हो जाओ या फिर नष्ट हो जाओ। ध्यानियों की कोई मृत्यु नहीं होती। लेकिन ध्यान से जो अलग है बुढ़ापे में उसे वह सारे भय सताते है जो मृत्यु के भय से उपजे है। अंत काल में उसे अपना जीवन नष्ट ही जान पड़ता है
ध्यान की परिभाषा : तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम।। 3-2 ।।-योगसूत्र अर्थात- जहाँ चित्त को लगाया जाए उसी में वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। धारणा का अर्थ चित्त को एक जगह लाना या ठहराना है लेकिन ध्यान का अर्थ है जहाँ भी चित्त ठहरा हुआ है उसमें वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। उसमें जाग्रत रहना ध्यान है।
ध्यान का अर्थ : ध्यान का अर्थ एकाग्रता नहीं होता। एकाग्रता टॉर्च की स्पॉट लाइट की तरह होती है जो किसी एक चिज को ही फोकस करती है लेकिन ध्यान उस बल्ब की तरह है जो चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है। आमतौर पर आम लोगों का ध्यान बहुत कम वॉट का हो सकता है लेकिन योगियों का ध्यान सूरज के प्रकाश की तरह होता है जिसकी जद में ब्रह्मांड की हर चिज पकड़ में आ जाती है। ध्यान का मूलत: अर्थ है जागरूकता। अवेयरनेस। होश। साक्षी भाव।
ध्यान का अर्थ ध्यान देना, हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी है। शरीर पर, मन पर और आस-पास जो भी घटित हो रहा है उस पर। विचारों के क्रिया-कलापों पर और भावों पर। इस ध्यान देने के जारा से प्रयास से ही हम अमृत की ओर एक-एक कदम बढ़ सकते है।
जागरूकता का महत्व : वर्तमान में जीने से ही जागरूकता जन्मती है। भविष्य की कल्पनाओं और अतीत के सुख-दुख में जीना ध्यान विरूद्ध है। द्रष्टा हो जाओ या फिर नष्ट हो जाओ। ध्यानियों की कोई मृत्यु नहीं होती। लेकिन ध्यान से जो अलग है बुढ़ापे में उसे वह सारे भय सताते है जो मृत्यु के भय से उपजे है। अंत काल में उसे अपना जीवन नष्ट ही जान पड़ता है
A special presentation of the Mantra Diksha program will be telecast on the following TV channel as per the schedule below:
Month | Dates | Day | Time | TV Channels |
July 2013 | 4,11,18,25 | Thursday | 6.30 AM to 7.00 AM |
Call :0291-2753699
Email : avsk@the-comforter.org
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